यहाँ किसी भविष्यवक्ता की आलोचना नहीं की जाएगी। हम बस ये समझने की कोशिश करेंगे की हमारे व्यवहार का एक पहलु एक ज्योतिष की कैसे मदद करता है जिससे हमे उनके द्वारा बताई गयी बातें सटिक लगती हैं।
मनोवैज्ञानिक Bertram Forer ने इस प्रभाव का अध्ययन किया। सन् 1948 में एक Personality टेस्ट के माध्यम से उन्होंने अपने छात्रों को ये बताया कि टेस्ट स्कोर का प्रयोग हर छात्र के व्यकीगत पहलू को बताने के लिए किया जायेगा। अब यहाँ ठहरते हँ और समझते हैं की astrologer क्या करते हैं।भविष्य का अनुमान। हालांकि इस अनुमान में किसी निश्चित समय क्या होगा इसका कोई पता नहीं लगता। फिर भी हम ज्योतिष में एक तरह का यकीन रखते हैं और अखबारों में साप्ताहिक/मासिक/वार्षिक राशि अनुमान पड़ते हैं। Bertram Forer ने छात्रों को टेस्ट स्कोर के आधार पर फीडबैक दिया तो सभी छात्रों को एक समान फीडबैक मिला । वे रेटिंग से संतुष्ट थे। Astrologer भी कोई सटीक घटना का वर्णन नहीं करते वरन वह हमारी अपने बारे में पॉजिटिव फीडबैक पाने की इच्छा का सही प्रयोग कर अष्प्सअष्टही लाने वाले कथनों का प्रयोग कर हमे भविष्य का अनुमान बताते हैं।
तो Barnum effect बताता है कि व्यक्ति पॉजिटिव स्टेटमेंट भले ही अस्पट हों या सटीक ना हों को अपनी निजी personality को परिभाषित करने वाले कथन के तौर पर मानता है भले ही ये कथन समान्यतः सभी के लिए प्रयोग हो सकते हों।
तो अगली बार जब एक astrologer से मिले तो उनके अनुमान को सटीक न मान कर यह समझे कि एक ज्योतिष Barnum effect को न जानकर भी उसका प्रयोग करना जानता है।
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